बुधवार, 3 जून 2020

कोविड-19 के इलाज के लिए इबुप्रोफ़ेन का हुआ परीक्षण, पढ़िए क्या कहते हैं नतीजे


वैज्ञानिक इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि क्या कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में इबुप्रोफ़ेन से मदद मिल सकती है.


लंदन के दो अस्पतालों में डॉक्टरों की टीम का मानना है कि बुख़ार और दर्द में राहत देने वाली ये दवा साँस की तकलीफ़ का भी इलाज कर सकती है.


लंदन के गायज़ एंड सेंट थॉमस हॉस्पिटल और किंग्स कॉलेज के डॉक्टरों को उम्मीद है कि कम ख़र्च वाली ये दवा मरीज़ों को वेंटिलेटर से दूर रखने में मदद कर सकती है.


परीक्षण के दौरान आधे मरीज़ों को सामान्य तीमारदारी के अलावा इबुप्रोफ़ेन की खुराक दी जाएगी.


ट्रायल में वे इबुप्रोफ़ेन के सामान्य टैबलेट्स के बजाय उसकी ख़ास फ़ॉर्मुलेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं.


कुछ मरीज़ों को अर्थराइटिस के मामलों में भी ये दवा दी जाती रही है.


जानवरों पर परीक्षण के दौरान ये बात सामने आई कि साँस की तकलीफ़ों में यह कारगर साबित हो सकती है.


कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों को साँस की तकलीफ़ से जूझते देखा गया है.


किंग्स कॉलेज के डॉक्टरों की जो टीम इस रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं, उसमें प्रोफ़ेसर मितुल मेहता भी शामिल हैं.


वो कहती हैं, "हम जो उम्मीद कर रहे हैं और जो नतीजे सामने आते हैं, उसे मिलाने के लिए हमें ट्रायल करने की ज़रूरत है."


महामारी की शुरुआत के समय इबुप्रोफ़ेन के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं जताई गई थीं. तब ये कहा गया था कि इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.


ये चिंताएं उस वक्त और बढ़ गई थीं जब फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवर वेरान ने कहा कि इबुप्रोफ़ेन जैसी दवाएं संक्रमण की समस्या को और बढ़ा सकती हैं.


उन्होंने मरीज़ों को पैरासिटामोल जैसी दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी थी.


 


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