शनिवार, 4 अप्रैल 2020

रूस की अमरीका-इटली को दी गई मदद पर क्यों किया जा रहा है शक?


रूस से सेना के विमान में मेडिकल सहायता न्यूयॉर्क पहुंची


 









भारत में कोरोनावायरस के मामले



2547

कुल मामले




163

जो स्वस्थ हो गए




62

मौतें



स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय


23: 25 IST को अपडेट किया गया









अमरीका और रूस के आपसी संबंधों के बीच तल्ख़ी जगज़ाहिर है लेकिन कोरोना वायरस के संकट के समय में रूस का नया रूप देखने को मिल रहा है.


रूस न्यूयार्क में मेडिकल सामानों की आपूर्ति कर रहा है, जिसे रूस की ओर से 'फ्रॉम रूस विद लव' अभियान का हिस्सा बताया गया है.


मार्च के अंत में ऐसा ही एक मालवाहक विमान कोरोना वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित इटली पहुंचा था, मेडिकल सामानों के अलावा 100 रूसी सैन्य चिकित्सक भी इटली पहुंचे थे.


रूसी मीडिया अपने सरकार की इस उदारता को प्रमुखता से बता रहा है, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी मिथ्या?


एक सवाल यह भी है कि क्या इस संकट का रूस फ़ायदा उठा रहा है?


अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ट्वीट करके बताया है कि अमरीका ने रूसी आपूर्ति का भुगतान किया है, साथ में उन्होंने ये भी बताया है कि कोविड-19 को हराने के लिए हम लोग एक साथ काम कर रहे हैं.


अमरीका के मुताबिक़, दोनों देशों के राष्ट्रपति के बीच पिछले दिनों फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान मेडिकल सामानों की आपूर्ति पर सहमति बनी थी.


वहीं, रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि आधे सामान के लिए अमरीका ने भुगतान किया है जबकि आधा सामान रूस की ओर से डोनेट किया गया है. हालांकि रूसी टीवी चैनलों पर इस आपूर्ति को मदद के तौर पर पेश किया जा रहा है और भुगतान के बारे में कोई ज़िक्र नहीं दिखता.


रूस की बड़े मीडिया समूहों में से एक गैजप्रोम मीडिया के एनटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जॉन एफ़ कैनेडी एयरपोर्ट पर रूसी जहाज़ को देखकर स्टाफ़ उत्साहित थे, उन्होंने विमान के साथ आकर सेल्फ़ी ली, जहाज़ के पायलट और रूस के राष्ट्रपति पुतिन को धन्यवाद कहा.


अमरीका में न्यूयार्क कोरोना वायरस संक्रमण का हॉटस्पॉट बनकर उभरा है. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक़, इस संक्रमण से अमरीका में 7000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.


रूस ने कोरोना वायरस संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए अमरीका और यूरोप की तरह का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है. बीते 24 घंटे में रूस में कोरोना वायरस संक्रमण के 771 मामले सामने आए हैं- यह अब तक एक दिन में सामने आए संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले हैं. रूस में अब तक संक्रमण के 4,548 मामले हो चुके हैं और तीस से अधिक लोगों की मौत हुई है.


रूस में कर्मचारियों को छुट्टियों पर भेजा जा चुका है. राष्ट्रपति पुतिन ने इस अवकाश को 30 अप्रैल तक बढ़ाने का फ़ैसला लिया है, इस दौरान लोगों को उनका वेतन मिलता रहेगा.


मदद की आलोचना


रूस की ओर से मिली मदद पर इटली की सरकार ने धन्यवाद ज़रूर दिया है लेकिन रूस के इरादों को लेकर संदेह भी बना हुआ है.



रूस से इटली को भेजी कई मेडिकल सहायता पर 'फ्रॉम रूस विद लव' लिखा हुआ है


 


इटली के अख़बार ला स्टांपा ने स्रोतों के आधार पर लिखा है कि ये मदद बहुत उपयोगी नहीं है, क्योंकि इस आपूर्ति का 80 प्रतिशत हिस्सा बेकार है. यह केवल पुतिन के लिए अपना क़द बढ़ाने की कोशिश दिख रही है.


जब इस बारे में अमरीका में रूस के राजदूत अनातोली अनातोनोव से पूछा गया तो वो भड़क गए. ग़ुस्सा ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा, "रूस की ओर से इटली को दी गई मदद की आधारहीन आलोचना और मदद पर भरोसा नहीं करना, अनैतिक और निंदनीय है, इतना ही नहीं जो लोग मौत से लड़ रहे हैं उनके लिए क्रूर भी है."


अनातोनोव ने यह भी कहा, "जो लोग हमारी मदद का राजनीतिकरण कर रहे हैं, वे लोग इतिहास ठीक से नहीं जानते. उन्हें यह याद करना चाहिए कि 1908 में जब इटली भूकंप से तबाह हो गया था तब भी रूसी नाविक मदद के लिए सिसली पहुंचे थे."


रूसी मीडिया ने इटली को दी गई मदद की काफ़ी प्रशंसा की है. रूसी मीडिया में इस मदद की ख़बर की हेडलाइन कुछ इस तरह से है- 'मदद का हाथ बढ़ाने के लिए धन्यवाद' और 'अमरीका और यूरोप को सबक सीखना चाहिए'.


हालांकि शीत युद्ध के दिनों का तनाव, जिसकी झलक 1963 के जेम्स बॉन्ड की मूवी 'फ्रॉम रूस विद लव' में दिखी थी, पूरी तरह से दूर नहीं हुआ है.








भारत में कोरोनावायरस के मामले


यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती है, हालांकि मुमकिन है इनमें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नवीनतम आंकड़े तुरंत न दिखें.



























































































































































































राज्य या केंद्र शासित प्रदेशकुल मामलेजो स्वस्थ हो गएमौतें
महाराष्ट्र3354216
तमिलनाडु30961
केरल286272
दिल्ली21984
उत्तर प्रदेश172142
राजस्थान16730
तेलंगाना15817
आंध्र प्रदेश13211
कर्नाटक124103
मध्य प्रदेश10406
गुजरात95108
जम्मू और कश्मीर7532
पश्चिम बंगाल6333
हरियाणा49240
पंजाब4815
बिहार2901
चंडीगढ़1800
असम1600
लद्दाख1430
अंडमान निकोबार द्वीप समूह1000
उत्तराखंड1020
छत्तीसगढ़930
गोवा600
हिमाचल प्रदेश611
ओडिशा500
पुडुचेरी510
मणिपुर200
झारखंड200
मिज़ोरम100



स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय


23: 25 IST को अपडेट किया गया








वैसे रूसी मदद पर आधिकारिक तौर पर इटली के रक्षा मंत्री लोर्रेंजो गुयरिनी ने आभार जताया है जबकि अनाधिकारिक तौर पर इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी ने आभार जताया है. बर्लुस्कोनी, व्लादिमीर पुतिन के दोस्त माने जाते हैं.


इटली के एक पॉप सिंगर ने समाचार एजेंसी तास को दिए इंटरव्यू में तारीफ़ के कुछ शब्द कहे हैं जबकि एक दूसरे सिंगर ने फ़ेसबुक वीडियो में रूस का एक लोकप्रिय गीत गाया है.


लेकिन रूस की सरकारी मीडिया, ऐसी ख़बरें दे रहा है जैसे कि रूसी मदद का इटली में आम लोगों ने बड़े पैमाने पर स्वागत किया है.



इटली में रूस का समर्थन


रूस के सरकारी चैनल, क्रेमलिन का समर्थन करने वाली वेबसाइट्स और टेलीग्राम चैनलों की ख़बरों में कहा जा रहा है कि इटली के लोगों ने यूरोपियन झंडे की जगह रूसी झंडे फहराए हैं और अपनी अपनी बॉलकनी में रूसी गाने गा रहे हैं.


हालांकि इसकी पुष्टि करने वाला केवल एक वीडियो और एक शख्स फेडिरिको काने मौजूद हैं.


बीबीसी रूसी सेवा ने काने से बातचीत की है. काने एक इंजीनियर हैं, उन्होंने कहा कि वो निजी तौर पर रूस और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के मुरीद हैं.


काने ने कुछ रूसी कंपनियों के साथ कारोबार किया है और उन्होंने रूस की चिकित्सीय सहायता के लिए निजी तौर पर धन्यवाद जताने के लिए रूसी झंडा फहराया है.


रूस की सरकारी मीडिया में ये भी दावा किया जा रहा है कि इटली में व्यापक रूप में लोगों ने रूस का राष्ट्रीय गाना गाया है.


दिलचस्प यह है कि ऐसा ही दावा पहले चीनी मीडिया ने किया था कि इटली में बड़े पैमाने पर लोग चीन का राष्ट्रीय गाना गा रहे हैं. लेकिन इटली के एक मीडिया समूह ने इस दावे को झूठा साबित कर दिया था.


रूस की सरकारी मीडिया दो वीडियो की रिकॉर्डिंग दिखा रही है, हालांकि इसमें लोग रूस का राष्ट्रीय गाना गा नहीं रहे हैं, बल्कि उसकी धुनें बजाई जा रही हैं. इसमें एक का संबंध इटली के ट्रेड यूनियन यूजीएल से पाया गया है.


इस गाने की धुन रोम की नव फ़ासीवादी संस्था कासापाउंड की हाउसिंग बिल्डिंग से आ रही है. यूजीएल ट्रेड यूनियन का कासापाउंड से ऐतिहासिक रिश्ता रहा है. इतना ही नहीं, यूजीएल के मुखिया भी कई बार रूस की यात्रा कर चुक हैं.


वहीं दूसरा वीडियो, एक फ्लैट के अंदर का है, जिसके बैकग्राउंड में रूस का राष्ट्रीय गाना सुनाई दे रहा है. इसे सबसे पहले रूसी न्यूज़ वेबसाइट डेली स्ट्रॉम के प्रमुख एलिना सिवकोवा ने पोस्ट किया है.


इस वीडियो का इस्तेमाल रूसी न्यूज चैनल्स और ऑनलाइन मीडिया आउटलेट काफ़ी कर रहे हैं. इनमें रेनटीवी, इजवेस्तिया, टीवी टीसेंटर और रूस-1 जैसी मीडिया प्लेटफॉर्म शामिल हैं.


 


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