शनिवार, 4 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस की चपेट में आने से बची हुई हैं दुनिया की ये 40 जगहें.......


अंटार्कटिका में कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं है, हालांकि यहां इंसान भी शायद ही नज़र आएं


दुनिया के ज़्यादातर देश कोरोना वायरस की चपेट में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख कह चुके हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की यह सबसे बड़ी चुनौती है जिससे पूरी दुनिया प्रभावित हुई है. लेकिन कुछ देश और कुछ ऐसे क्षेत्र अभी भी हैं जहां कोरोना वायरस संक्रमण नहीं पहुंचा है.


प्रशांत महासागरीय द्वीप तुवालू और पूर्व सोवियत रिपब्लिक मुल्क तुर्कमेनिस्तान के बीच सामान्य क्या है?


ये दोनों ही उन देशों और क्षेत्रों की सूची में शामिल हैं जहां एक अप्रैल तक कोरोना वायरस संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है.


जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, कोरोना वायरस दुनिया के 180 से अधिक देशों और क्षेत्रों में अपनी पहुंच बना चुका है. दुनिया में 11 लाख के क़रीब लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं जबकि मरने वालों का आंकड़ा 58,000 के पार पहुंच चुका है. वहीं दो लाख से अधिक मामले ऐसे भी हैं जिसमें लोग री-कवर करने में कामयाब रहे हैं.


लेकिन ग्लोब पर 40 ऐसी जगहों को चिह्नित किया गया है जहां अब तक कोरोना वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है. कम से कम आधिकारिक तौर पर तो इसकी कोई सूचना नहीं है.



सीमाएं बंद


लेकिन इन देशों या इलाक़ों में कोई केस क्यों नहीं है? इसकी क्या वजह हो सकती है?


बहुत से कारणों में से अगर कोई एक कारण बताएं तो वो ये हो सकता है कि ये जगहें काफ़ी छोटी हैं और यहां जनसंख्या बहुत घनी नहीं है.


अब अगर तुवालू की बात करें तो यह द्वीप बहुत छोटा सा है. यहां की आबादी बहुत कम है और लोगों की आमद भी यहां बेहद सीमित है. अधिक नहीं है.


इन 40 जगहों में से बहुत सी जगहें पर्यटन के लिए ही जानी जाती हैं. अब ऐसे वक़्त में जबकि ज़्यादातर देशों ने हवाई यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, सीमाएं बंद कर दी हैं तो ये जगहें लगभग कट सी गई हैं.


कुछ जगहों पर तो स्थिति और अधिक जटिल है.



तुर्कमेनिस्तान में तो कोरोना वायरस शब्द के इस्तेमाल पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है


शक पैदा करता उत्तर कोरिया


तुर्कमेनिस्तान में तो कोरोना वायरस शब्द के इस्तेमाल पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहीं दूसरी ओर उत्तर कोरिया की ओर से आया आधिकारिक बयान संदेह पैदा करता है.


संदेह इसलिए क्योंकि उत्तर कोरिया की ग्लोब पर जो अवस्थिति है वो दुनिया के उन देशों से घिरी हुई है जो कोरोना वायरस संकट से सबसे अधिक जूझ रहे हैं. इसमें सबसे प्रमुख नाम तो चीन का ही है, जहां से इस वायरस की शुरुआत हुई थी.


लेकिन प्योंगयांग की ओर से अभी तक किसी एक भी कोविड 19 मामले की घोषणा नहीं की गई है.


इस बात की आशंका है कि अगर उत्तर कोरिया में यह महमारी उभरी तो यह बड़ी आसानी से उत्तर कोरिया की स्वास्थ्य प्रणाली को ध्वस्त कर देगी. क्योंकि यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कुशासन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण बेहद ख़राब स्थिति में है. उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु हथियारों का लगातार परीक्षण करने की वजह से कई प्रतिबंध लगे हुए हैं.


यमन में अब भी युद्ध जारी है. जिसकी वजह से यहां टेस्ट करना और केस रजिस्टर करना अब भी एक चुनौती है.


वहीं सऊदी अरब ने 31 मार्च को घोषणा की कि उसके यहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 1500 के पार पहुंच गए हैं.



कुछ अफ्रीकी देशों में भी अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन इसे टेस्टिंग किट्स की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है.


अब बात अंटार्कटिका की यह एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहां कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं पाया गया है.


ग्लोब पर इसकी स्थिति को अगर ग़ौर से देखें तो यह पूरी दुनिया से थोड़ा कटा हुआ है. अलग-थलग है. अंटार्कटिका एक बेहद कम आबादी वाली जगह है जहां इंसानों की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सेंटर्स तक ही सीमित है.


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