सऊदी अरब ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान और सभी पक्ष शांति और सुरक्षा के लिए काम करेंगे."
प्रिंस फ़ैसल ने कहा, "सऊदी अरब उम्मीद करता है कि अफ़ग़ानिस्तान की कार्यवाहक सरकार सही दिशा में काम करेगी और लोगों को हिंसा, अतिवाद के मुक्ति दिलाएगी."
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब अब अफ़ग़ानिस्तान में शांति और स्थिरता की उम्मीद करता है. सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार प्रिंस फ़ैसल ने कहा कि उनका मुल्क अफ़ग़ान जनता की मदद करना जारी रखेगा.
सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि वे अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करते हैं.
सऊदी अरब और तालिबान
इससे पहले साल 1996 से लेकर 2001 तक अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का शासन था.
उस वक़्त तीन देश सऊदी अरब, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार की वैधता को स्वीकार किया था.
तालिबान ने इस दौर में ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में चल रहे चरमपंथी संगठन अल-क़ायदा को अपने यहाँ पनपने दिया था. इस संगठन को साल 2001 में अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है, जिसमें कुछ बहुमंज़िला इमारतें ध्वस्त हुईं और क़रीब 3,000 लोगों की जान गई.
आज की तारीख़ में तालिबान ख़ुद को सही मायनों में "अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामी शासक" के रूप में देख रहा है और वो चाहेगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे इसी पहचान के साथ स्वीकृति मिले.
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