सोमवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैश काफ़ी सक्रिय रहे. ट्विटर पर भी उन्होंने लगातार कई ट्वीट्स करते हुए अफ़ग़ानिस्तान की ताज़ा स्थिति पर पाकिस्तान का रुख़ स्पष्ट करने की कोशिश की.
अशरफ़ ग़नी के नेतृत्व वाली अफ़ग़ानिस्तान की सरकार और उनके कई शीर्ष अधिकारियों ने तालिबान के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका की आलोचना की थी.
लेकिन अब अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण है और राजधानी काबुल भी उनके क़ब्ज़े में है. ऐसे में पाकिस्तान के रुख़ पर सबकी नज़र है कि वो आगे क्या करता है.
सोमवार को पाकिस्तान की शांति और स्थिरता की भूमिका की बात करने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री देर रात भारत पर भड़क उठे और उन्होंने ट्वीट करके भारत पर गंभीर आरोप लगाए.
दरअसल सोमवार को आनन-फानन में अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने बैठक में तालिबान से आह्वान किया कि वो राजनीतिक समझौते के तहत मौजूदा संघर्ष को हल करे और अफ़ग़ानिस्तान को एक बार फिर से आतंकवादियों के लिए शरणस्थली न बनने दें.
लेकिन पाकिस्तान की नाराज़गी इस बात को लेकर थी कि उसे बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया. पिछले सप्ताह भी अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर बुलाई गई सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में पाकिस्तान को बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया था.
दरअसल भारत इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है. इस कारण पाकिस्तान ने इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है.
नाराज़गी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने ट्वीट करके अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान को एक बार फिर अफ़ग़ानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया. ये निर्विवाद है कि अफ़ग़ानिस्तान के बाद पाकिस्तान ही दशकों से चल रहे इस संघर्ष से पीड़ित रहा है."
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उन्होंने आगे लिखा है कि अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य के इस अहम मोड़ पर भारत की पक्षपातपूर्ण और रुकावट डालने वाली कार्रवाइयाँ बार-बार इस बहुपक्षीय प्लेटफ़ॉर्म का राजनीतिकरण कर रही हैं. हालाँकि इसका मक़सद शांति है. भारत के इस क़दम से पता चलता है कि अफ़ग़ानिस्तान और इस क्षेत्र को लेकर उसकी मंशा क्या है.
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सोमवार रात हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई.
उन्होंने सोमवार को काबुल हवाई अड्डे पर मची अफ़रा-तफरी और इस दौरान हुई दुखद घटनाओं का भी ज़िक्र किया.
सुरक्षा परिषद के विशेष सत्र के बाद पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने भारत पर आरोप लगाया कि वो अ़फ़ग़ानिस्तान पर बैठकों में पाकिस्तान की भागीदारी को रोकना चाहता है.
मुनीर अकरम ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान की शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान की एक अहम भूमिका है, लेकिन भारत जान-बूझकर पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान के बारे में बोलने नहीं दे रहा है."
चीन ने भी जताई चिंता
सुरक्षा परिषद की इस बैठक में चीन के प्रतिनिधि ज़ांग जुन ने अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई और सदस्य देशों के वहाँ मानवीय त्रासदी को रोकने की कोशिश करने की अपील की.
ज़ांग ने बैठक में पाकिस्तान को न बोलने देने पर खेद व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध ख़त्म करना सिर्फ़ अफ़ग़ान लोगों की इच्छा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी यही चाहता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में एक समावेशी सरकार स्थापित करने के अपने वादे को पूरा करेगा और अपने लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा.
संयुक्त राष्ट्र में रूप से स्थायी प्रतिनिधि वैसिली नेबेनज़िया ने कहा कि उनका देश अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर नज़र रखे हुए है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति इतनी तेज़ी से बदली है कि हर कोई चकित है.
रूसी प्रतिनिधि में अफ़ग़ान सुरक्षा बलों की क्षमता पर भी सवाल उठाए और पूछा कि कैसे 20 साल से ट्रेनिंग पा रहा एक सैनिक इतनी आसानी से हार जाएगा. उन्होंने कहा कि वे तालिबान से संपर्क में रहेंगे और ये देखेंगे कि ग्रुप क्या कर रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम तालिबान को मान्यता दे रहे हैं.
रूसी प्रतिनिधि से इस पर भी चिंता जताई कि आईएसआईएस और अन्य संगठन अब भी अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय हैं और इसे पड़ोसी देशों की सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी बैठक को संबोधित किया और अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा स्थिति को दुखद कहा. उन्होंने सभी संबंधित पक्षों और ख़ासकर तालिबान से अपील की कि वो मानवाधिकार का सम्मान करे और ख़ूनख़राबा बंद करे.
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